पानी ह जिनगी के अधार हरे। बिना पानी के कोनो जीव जन्तु अऊ पेड़ पौधा नइ रहि सके। पानी हे त सब हे, अऊ पानी नइहे त कुछु नइहे। ये संसार ह बिन पानी के नइ चल सकय। ऐकरे पाय रहिम कवि जी कहे हे –
रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून।
पानी गये ना उबरे, मोती मानुष चून।।
आज के जमाना में सबले जादा महत्व होगे हे पानी के बचत करना । पहिली के जमाना में पानी के जादा किल्लत नइ रिहिसे। नदियाँ, तरिया अऊ कुंवा मन में लबालब पानी भराय राहे। जम्मो मनखे मन तरीया, नदियां में जाये अऊ कूद-कूद के, दफोड़ – दफोड़ के डूबक – डूबक के नहा के आये।लड़का मन ह घंटा भर ले तँउरत राहय अऊ पानी भीतरी छू छुवऊला तक खेले। एकर से शरीर ल फायदा तक राहे। एक तो शरीर के ब्यायाम हो जाये अऊ दूसर जेला पानी में तँउरे बर आ जाथे ओहा पानी में कभू नइ बूड़े। आज तरिया नदिया में नहाय बर छूट गेहे तेकरे सेती आदमी मन तँउरे ल नइ सीखे हे। अउ ओकरे सेती कतको आदमी मन पानी में बूड़ के मर जथे।
नल के नवहइया मन कहां ले तँउरे ल सीखही ग? अउ कभू कभार सँऊख से टोटा भर पानी में चल देथे त उबुक चुबुक हो जाथे। आज पानी ह दिनो दिन अटात जावत हे जे नदियां, तरिया, कुंवा, बावली मन लबालब भराय राहे आज सुखावत जात हे। गांव मन मे हेण्डपम्प लगे हे ओला टेड़त-टेड़त थक जबे त एक मग्गा पानी निकलथे। नल में बिहनिया ले संझा तक लाइन लगे रहीथे। पानी के नाम से रोज लडई झगरा होवत हे।
ये सब ह हमरे गलती के कारण हरे। गांव गाँव अऊ खेत खार सब जगा आदमी मन बोर खोद डरे हे। धरती दाई के छाती ल जगा जगा छेदा कर डरे हे। पेड़ पौधा ल रात दिन काटत जात हे। बड़े बड़े कारखाना लगा के परयावरन ल परदुसित करत जात हे। एकरे सब परिनाम आय,पानी ह दिनो दिन कम होवत जात हे।
हमर देश ल नदिया के देश कहे जाथे।इंहा गंगा, जमुना, कृष्णा, कावेरी, शिवनाथ, महानदी जइसे कतको बड़े बड़े नदियां हे। फेर बड़े दुख के बात हरे के अइसन बड़े बड़े नदियां के राहत ले बोतल में पानी ल खरीद के पीये बर परत हे। कोनो ह सोचे नइ रिहिसे के हमरो देश में पानी ल खरीद के पीये बर परही। फेर आज का से का नइ होगे।
आज हमला पानी के बचत करना बहुत जरूरी होगे हे। नही ते आने वाला समय ह अऊ भयंकर हो जाही। गांव शहर में देखे बर मिलथे के कतको नल में टोटी नइ राहे। अऊ पानी ह भक्कम बोहात रहिथे। त जनता मन ला भी चाहिए कि टोटी लगा के पानी के बरबादी ल रोके। जतके पानी के बचत करबो ओतके हमला फायदा हेअऊ आने वाला पीढ़ी ह सुख से रही। ओकरे पाय कहे हे-
जल ही जीवन हे।
पानी जिनगी के अधार ए।
पानी बिना जग अंधियार हे ।
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया (कवर्धा )
छत्तीसगढ़
8602407353